मोदी शासन ने अंबानी को ईएसआई से दिए 75,000 करोड़ रुपये।
मोदी सरकार ने मज़दूरों की खून पसीने की कमाई वाले ईएसआई से हज़ारों करोड़ रुपये अंबानी को दे दिए हैं।
उन्होंने कहा कि 44 कानूनों को मिलाकर केवल चार श्रम कानून बनाने का निर्णय पूजीपतियों पक्ष में और मज़दूरों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मजदूरों के विरोधी हैं।
सीटू की 13 वीं राज्य बैठक में बोलते हुए तपन सेन ने कहा कि 44 कानूनों को मिलाकर केवल चार श्रम कानून बनाने का निर्णय मज़दूर विरोधी है, सरकार केवल पूंजीपतियों के पक्ष में काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में मजदूरों के ईपीएफ का 15 प्रतिशत हिस्सा शेयर बाजार में लगा दिया।”
उन्होंने कहा कि मोदी शासन की चिंता केवल पूंजीपतियों के लाभ का मार्जिन को बढ़ाने में है और वो उसी दिशा में काम कर रही है। चाहे वो पूर्व में हो या इस कार्यकाल में उनका मज़दूरों के प्रति सोच एक जैसी है।
आने वाला समय मजदूरों के लिए और भी कठिन और चुनौतीपूर्ण होने वाला है।, क्योंकि मोदी सरकार ने लगभग 70 सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को समाप्त करने की योजना बनाई है।
इसमें आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन और आशा योजनाएं शामिल हैं जो कमज़ोर वर्गों के लिए विशेष रूप से लाभकारी योजनाएं हैं।
सेन ने कहा कि मोदी शासन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित करके छोटे फेरीवालों और रेहड़ी वालों के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।
जीवन बीमा निगम और बीएसएनएल जैसे कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कमजोर करने के लिए सरकार एक सोची समझी कोशिश कर रही है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से मोदी शासन के ऐसे सभी इरादों से लड़ने के लिए एक साथ आने की अपील की।
( वर्कर्स यूनिटी से साभार )