डीटेंशन कैम्प में मौतों के खिलाफ 6 नवंबर को माले का राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन
असम के डीटेंशन कैम्प में 27 मौतें - मोदी-शाह जवाब दो!
नागरिकता संशोधन बिल वापस लो!
सर्व-भारतीय NRC नहीं सहेंगे!
लोगों की नागरिकता पर खतरा नहीं सहेंगे !
तथ्य इस प्रकार हैं:
- असम के डीटेंशन कैम्पों में NRC के फ़ाइनल सूची से पहले 25 लोगों की, और उसके बाद दुलाल चंद्र पाल और फालू दास की मौतें हुईं.
- दुलाल पाल और फालू दास के परिवार ने उनके शव लेने से इंकार करते हुए कहा है - अगर वे बांग्लादेशी थे, तो बांग्लादेश में उनके परिवार को तलाशिये, और शव को बांग्लादेश भेजिए. नहीं, तो मानिये कि वे भारत के नागरिक थे जिनकी हत्या सरकार द्वारा डीटेंशन कैम्प में हुईं.
- अमित शाह अब देश भर में NRC लागू करवाने पर आमादा हैं, जिसमें हर किसी को कागज़ात के जरिए साबित करना होगा कि 1951 में उनके पूर्वज भारत में वोटर थे.
अमित शाह हर राज्य में डीटेंशन कैम्प खुलवा रहे हैं- महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में ऐसे कैम्प बन रहे हैं.
- गरीब तो बीपीएल की सूची, वोटर लिस्ट, आधार से भी बाहर रह जाते हैं. वे 1951 के उनके पूर्वजों के कागज़ात कहाँ से लाएंगे? अगर न ला पाएं तो उन्हें डीटेंशन कैम्प में डाला जाएगा.
- मोदी - शाह कह रहे हैं कि अगर आप मुसलमान हैं तो आपको देश से निकाल दिया जाएगा, पर अगर आप हिन्दू या गैर मुसलमान हैं, तो हम नागरिकता कानून में संशोधन करके आपको शरणार्थी मान लेंगे.
- तो देश के नागरिकों पर खतरा है कि उन्हें या तो डीटेंशन कैम्प में मारा जाएगा, या नागरिक के बजाय शरणार्थी बना दिया जाएगा!
डीटेंशन कैम्प यातना शिविर हैं - इन्हें बंद करो!
भारत भर में NRC की योजना वापस लो!
नागरिकता संशोधन बिल वापस लो!
- भाकपा माले केंद्रीय कमिटी