*पंजाब में झब्बर कांड फिर दोहराया गया *जिला संगरूर के गांव चंगाली वाला में भूमिहीन नौजवान का बेरहमी से कत्ल *पार्टी के 4 सदस्य जांच टीम ने किया गांव का दौरा _
सुखदर्शन सिंह नथ
गत 15 नवंबर को पीजीआई चंडीगढ़ में एक 32 साला दलित नौजवान जगमेल सिंह की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई । ये नौजवान 6 नवंबर को अपने गांव के जातिवादी सामंती मानसिकता वाले कुछ दबंगों के जुल्म का शिकार हुआ था । यह गांव पंजाब की साबका मुख्यमंत्री व प्रमुख कांग्रेसी लीडर श्रीमती रजिंदर कौर भट्ठल का ससुराल का गांव है । बेशक रजिंदर कौर भट्ठल की अपनी रिहाईश करीबी कस्बे लहरागागा में है , पर क्योंकि इस गांव में उनकी पुश्तैनी 40 एकड़ जमीन मौजूद है । इसलिए इस गांव से उनका नित दिन का सरगर्म संपर्क है और यह दबंग गांव में उनके खास आदमी है । मुख्य दोषी रिंकू सिंह का परिवार एक भूतपूर्व सामंत परिवार है जो अपनी लोक विरोधी गतिविधियों और पुलिस प्रशासन में गहरी पेंठ के चलते लोगों पर जुल्म करने में समय-समय पर चर्चा में आता रहा है । मारे गया दलित नौजवान के छोटे-छोटे तीन मासूम बच्चे हैं जिनकी उम्र 14 साल 12 साल और 6 साल है । इन के इलावा परिवार में सिर्फ बूढ़ी मां व पत्नी है। परिवार चलाने के लिए कमाई करने वाला कोई भी बाकी नहीं बचा है । मृतक जगमेल सिंह ने परिवार चलाने के लिए खेत मजदूरी की , ईंट भट्ठों पर काम किया और बाद में वह रजिंदर कौर भट्ठल के परिवार के लिए एक गाड़ी चलाने लगा , जहां इन अमीर परिवारों के बिगड़े हुए लड़कों से उसे नशे की लत लग गई । हालांकि गांव के लोग बताते हैं कि वह एक अच्छा ड्राइवर बन गया था और प्राइवेट बस भी चलाता रहा , मगर नशे की लत के कारण उसको नौकरी से जवाब मिल गया । जिसके कारण पिछले कुछ समय से वह गरीबी और बेकारी के कारण डिप्रेशन का शिकार हो गया था।। इस हिला देने वाली घटना का कारण महज इतना है कि 27 अक्टूबर को दिवाली के दिन कुछ रुपए पैसे मांगने को लेकर जगमेल सिंह की दोषियों के साथ दिन में कुछ कहासुनी हो गई थी । उसी रंजिश में तीन ने शराब पीकर रात के वक्त जगमेल सिंह के घर जाकर उसको बुरी तरह पीटा और जख्मी कर दिया । जगमेल सिंह ने अगले दिन पुलिस के पास उनके खिलाफ रिपोर्ट भी की , मगर क्योंकि दोषियों का राजसी दबदबा काफी ज्यादा था इसलिए पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की , बल्कि उनसे कहा कि कुछ ले ले देकर इसको चुप करवा दो।। उन लोगों ने जगमेल सिंह से समझौते की बातचीत का ड्रामा किया और कहा कि हम आपको इलाज के लिए ₹5000 दे देंगे और उससे समझौते के कागज पर दस्तखत करवा लिए , मगर बाद में पैसा देने से मुकर गए । जिसके चलते जगमेल सिंह ने
दोबारा पुलिस के पास पहुंच की , पर राजिंदर कौर भट्ठल के हेनरी नामक एक खास सिपहसलार ने थानेदार को कहा कि यह जगा तो पागल है , इसकी बात मत सुनो । इसलिए जगमेल की बात ना पोलीस ने सुनी ना पंचायत ने । जिस के कारण वह निराश होकर गांव में लोगों को दोषियों से बदला लेने की बात करने लगा और समझौते में तय पैसा लेने के लिए वह एक दो दफा दोषियों के ट्रैक्टर के आगे भी लेट गया था ।। एक गरीब दलित का ऐसा करना दोषियों को अपनी सामंती शान मिट्टी में मिलाने जैसा लगा , इसलिए उन लोगों ने उसको ऐसा सबक सिखाने की ठान ली जिससे गांव के दूसरे गरीब और आम किसान भी उनके आगे सर उठाने की हिम्मत ना कर सकें । . उन्होंने 6 नवंबर को जगमेल को कहा कि चलो हमारे साथ , हम आपको पैसा भी देते हैं और आप का इलाज भी करवाते हैं ! वह उसे अपने मोटरसाइकिल पर बैठा कर गांव में ही स्थित रिंकू सिंह के घर ले आए और वहां उसे एक खंभे से बांध दिया । उसके बाद शुरू हुआ जुल्म का रोंगटे खड़े कर देने वाला दौर , जिसमें उन लोगों ने उस को करीब 2 घंटे तक डंडो और लाठियों से पीटा । जब उसने मिनत तरला करके पीने के लिए पानी मांगा , तो उन्होंने उसके मुंह में अपना पेशाब डाल दिया । हूबहू बंत सिंह झब्बर जैसा कांड दोहरते हुए उन्होंने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि जगमेल के सर , गर्दन या छाती पर कोई ऐसी चोट ना लगे जिसके चलते उन पर कोई गंभीर पुलिस केस दर्ज हो जाए । इसकी बजाय उन्होंने उसकी टांगों को बुरी तरह से इतना पीटा कि उसकी टांगों की चमड़ी जगह-जगह से फट गई । बाद में अंधेरे में वो जगमेल को उसके घर के सामने फेंक कर चले गए । तब जगमेल के घर में कोई भी मोजूद नहीं था । रात को उसको चिल्लाता देखकर किसी पड़ोसी ने जब उसकी खबर ली , तो उसने दर्द की कोई दवा मांगी पड़ोसी मजदूर के पास जो भी दर्द की टेबलेट थी उस को दे दी । जैसे कैसे करके दिन चढ़ा । ऐसी नाज़ुक हालत में ही जगमेल सिंह अकेला टरेन से पास के कस्बे लहरागागा के सिविल हॉस्पिटल पहुंचा । उसके पास ना कोई पैसा था और ना कोई मददगार । उसने डॉक्टरों से अपना इलाज करने की मांग की , पर उसको खाली जेब और बिना किसी सहाय्क के देखकर डॉक्टरों ने न उसके बारे में पुलिस को सूचित किया और न उसको दाखिल करके उसका ठीक इलाज ही शुरू किया । इस की बजाय उसको ऐसे ही थोड़ी बहुत पट्टी वट्टी करके और दवा देकर वापस भेज दिया । घर में भी कोई पैसा ना होने के चलते , वह दो दिन ऐसे ही तड़पता पड़ा रहा । जब उस की पत्नी वापस आई तब जाकर गांव के कुछ मजदूरों व उसकी पत्नी ने इधर उधर से कुछ पैसा इकट्ठा करके 10 नवंबर को उसको ले जाकर संगरूर के जिला सत्रिया सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया । मगर तब तक उसके जख्मों में गंभीर इन्फेक्शन या गैंग्रीन फैल चुकी थी। तब कहीं जाकर यह मामला मजदूर संगठनों वह जनवादी शक्तियों के ध्यान में आया । फिर पहले उसे पटियाला के बड़े सरकारी राजिंदरा हॉस्पिटल में ले जाया गया और उसके बाद आगे पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल करवाया गया । पीजीआई के डॉक्टरों ने जगमेल की जान बचाने के लिए उसकी गैंग्रीन से प्रभावित दोनों टांगों को काट दिया । मगर तब भी उसकी जान नहीं बचाई जा सकी और 15 नवंबर को उसके जीवन का अंत हो गया। हालांकि मरने से पहले जगमेल के द्वारा दिए गए बयान के आधार पर अब तक पुलिस चारों दोषियों को गिरफ्तार कर चुकी है , उन पर धारा 302 का मुकदमा और एससी एसटी एक्ट लगाया जा चुका है।। मगर अब इस मामले को लेकर संघर्ष करने के लिए कई खेत मजदूर संगठनों , विद्यार्थी व नौजवान संगठनों पर आधारित जो एक्शन कमेटी बनी है , उस की ओर से 17 नवंबर से गांव के बस स्टैंड पर धरना लगाकर स्टेट हाईवे को जाम किया गया है । एक्शन कमेटी की मांग है कि जगमेल के परिवार के गुजारे वह बच्चों के पालन-पोषण के लिए परिवार को ₹50 लाख का मुआवजा दिया जाए व मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए , दोषियों व उनके समर्थकों के ऑर्म लाइसेंस रद्द करके उनके अग्नि शास्त्र जबत किया जाए । हॉस्पिटल के डॉक्टरों और पुलिस की संदिग्ध भूमिका के बारे में निष्पक्ष जांच करवाई जाए और जो भी दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ।। इस एक्शन कमेटी में पार्टी की ओर से मजदूर मुक्ति मोर्चा शामिल है । ।
17 नवंबर को पार्टी की ओर से एक 4 सदस्य जांच टीम ने गांव का दौरा किया और पीड़ित परिवार , गांव के मजदूरों किसानों व एक्शन कमिटी के लीडरों से बातचीत की । इस टीम में पार्टी के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड सुखदर्शन सिंह नत्त , कामरेड भगवंत सिंह समांओ व पार्टी के दो स्टेट कमेटी मेंबर कामरेड गुरनाम सिंह भीखी और कामरेड गुरजंट सिंह मानसा शामिल थे । टीम के मेंबरों ने रोड पर चल रहे धरने को भी संबोधित किया और एलान किया कि समाजिक दमन की इस अति निंदनीय घटना के खिलाफ सीपीआई (एम एल) लिबरेशन इस संघर्ष का पूरी ताकत से समर्थन करेगी । जब तक पीड़ित परिवार को इंसाफ नहीं मिल जाता , तब तक इस लड़ाई को लगातार जारी रखा जाएगा ।