एक हैं इरफ़ान अंसारी और एक संबित पात्रा हैं। दोनों राजनीतिक पेशे में हैं। और दोनों के पास चिकित्सा की डिग्री है। इरफान झारखंड में विधायक हैं जबकि संबित पात्रा बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता। लेकिन देश के सामने आए इस महासंकट के मौक़े पर दोनों की भूमिका अलग-अलग हो गयी है। इरफ़ान अंसारी ने बाक़ायदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर ज़रूरत के इस मौक़े पर अपनी चिकित्सकीय सेवाएँ देने का प्रस्ताव दिया है। जबकि संबित पात्रा ने ट्वीट कर इस बात का संकल्प लिया है कि वह अपने घर से नहीं निकलेंगे।
यह राजनीति के दो चहरे हैं। जिसमें एक में सेवा भाव है जबकि दूसरे में स्वार्थपरता और कायरता छुपी हुई है। इरफ़ान ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा है कि “मैंने चिकित्सा डिग्री प्राप्त करने के उपरांत लोगों की सेवा की शपथ ली थी। विधायक निर्वाचित होने के पूर्व मैंने अपनी सेवाएँ झारखंड सहित कई पीएसयू में भी दी थी। समय की माँग है कि मैं चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएँ सरकार को दूं।”
इसके आगे उन्होंने लिखा है कि “वैसे व्यक्तिगत तौर पर अपनी सेवाएँ जनता को देता रहता हूँ। तथापि संकट की इस घड़ी में मैं अपनी निःशुल्क सेवा, स्वेच्छा से सरकार को देना चाहता हूँ।”
अगर नागरिक के तौर पर उन्होंने ख़ुद को अलग रखने का फ़ैसला किया है तो फिर उसका उल्लंघन कर लॉक डाउन तोड़ने वाले योगी का वह कैसे समर्थन कर सकते हैं। इसके साथ ही एक चिकित्सक के तौर पर भी उनका बुनियादी कर्तव्य बनता है कि वह योगी को इस तरह से बाहर जाने से रोकें। और अगर ऐसा कुछ उनकी तरफ़ से हुआ है तो उसकी सराहना करने की जगह निंदा करें। संबित के इस ट्वीट पर भी कई लोगों ने अपने तरीक़े से तंज कसा है।
जनचौक से साभार