अलविदा हमारे दौर के प्यारे लोक गायक!
पुरुषोत्तम शर्मा
उनके कई गीत जन आंदोलनों के समूह गान बने। ऐसा ही एक गीत है "लस्का कमर बांधा, हिम्मत का साथ / फिर भोल उज्याव होली, कब तक रौली राता" (कस के कमर बांधो, हिम्मत के साथ/कल फिर उजाला होगा, ये रात कब तक रहेगी)। उन्होंने आंदोलनों को ऊर्जा देने वाले, पहाड़ की पीड़ा को व्यक्त करने वाले गीतों के साथ ही, प्रेम और प्रकृति के सौंदर्य बोध से ओत प्रोत कविताएं और गीत भी लिखे व गाए।
अलविदा हमारे दौर के प्यारे लोक गायक, तुम्हें अंतिम सलाम!