सूक्ष्म कर्ज माफी की मांग पर देश भर में महिलाओं का प्रदर्शन

कर्ज माफी की मांग पर देश भर में SHG समूहों से जुड़ी महिलाओं का प्रदर्शन


पुरुषोत्तम शर्मा


स्वयं सहायता समूहों के छोटे कर्जों की वसूली पर रोक की मांग को लेकर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एशोसिएशन (ऐपवा) ने आज राष्ट्रव्यापी कर्ज मुक्ति दिवस मनाया !


ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि बड़े लोगों के कर्जों को सरकार माफ कर बेल आउट पैकेज दे रही, लेकिन छोटे कर्जदारों पर जुल्म ढा रही है !


ऐपवा का मानना है कि माइक्रो फायनांस कंपनियों व प्राइवेट बैंकों द्वारा ग्रामीण महिलाओं को दिया जाने वाला कर्ज आज पूरी तरह उनके लिए गले का फंदा बन गया है, जिसके चक्र से महिलायें बाहर ही नहीं निकल पा रही हैं. ब्याज की दर इतनी अधिक है कि कई जगह वह मूलधन के बराबर हो गई है. यह सूदखोरी का नया रूप है. राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के जरिये ऐपवा ने कहा, यदि केंद्र की सरकार बड़े काॅरपोरेटों के अरबों का कर्ज माफ कर सकती है और बेल आउट पैकेज दे सकती है तो छोटे कर्जदारों के कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता है.


आज का कार्यक्रम सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने, स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज माफ करने,.एक लाख रुपये तक का निजी कर्ज चाहे वो सरकारी, माइक्रो फायनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों, का लॉकडाउन के दौर का सभी किस्त माफ करने, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने, एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाने, शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त करने, सामूहिक कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक ऑथोरिटी बनाने, स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर 0-4 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित करने, जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो उस कर्ज को समाप्त करने आदि मांगों के साथ आयोजित की गई.


आज के कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ रसोइया, जीविका व अन्य स्वयं सहायता समूहों ने भी पुरजोर तरीके से हिस्सा लिया. पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक , तमिलनाडु, पांडिचेरी, पश्चिम बंगाल, असम सहित कई राज्यों में इन समूहों से जुड़ी हजारों महिलाएं सड़कों पर उतरी और मोदी सरकार से उनके ऋणों को माफ करने की मांग की।