यूपी में नया दलित छात्रावास बना दिया डिटेंशन सेंटर
एनआरसी और सीएए को लेकर आम जनता का आंदोलन कोरोना के चलते भले रुक गए हो, पर केंद्र सरकार लगातार अपनी तैयारी में लगी है। इसी सीरीज में देश का 12वां और उत्तर प्रदेश का पहला डिटेंशन सेंटर दिल्ली से सटे गाजियाबाद में तैयार हो गया है। इसे बनाने में यूपी सरकार को एक साल का वक्त लगा। खास बात यह है कि यह पहले अंबेडकर हॉस्टल था। उसी की इमारत को डिटेंशन सेंटर में मॉडिफाई किया गया है।
यूपी का यह पहला डिटेंशन सेंटर गाजियाबाद के नंदग्राम में बनाया गया है। पिछले एक साल से इसमें काम चल रहा था। इसमें यूपी में अवैध रूप से रह रहे कथित विदेशी नागरिकों को रखा जाएगा। अखबारों में छपी खबरें बताती हैं कि अक्टूबर में इसका उद्घाटन हो सकता है। डिटेंशन सेंटर की दीवारों पर काफी ऊंचाई तक तारबंदी कर दी गई है। इमारत की रंगाई-पुताई व मरम्मत का कार्य पूरा हो गया है। दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक बिजली, पानी, पंखे, शौचालय आदि का काम भी पिछले दिनों पूरा हो गया। इसमें तीन बड़े हॉल हैं। इसमें 100 विदेशियों को रखा जा सकता है।
सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है। हालांकि अगर बात इसकी सुरक्षा व्यवस्था की करें तो मार्च में तत्कालीन एसपी सिटी मनीष मिश्र ने सेंटर का मुआयना किया था, उसके बाद से इधर का पुरसाहाल नहीं लिया गया है। जिला समाज कल्याण अधिकारी संजय कुमार व्यास बताते हैं कि यह डिटेंशन सेंटर ओपन जेल की तरह होगा। यहां सिर्फ विदेशियों को ही रखा जाएगा। सेंटर में एक कैदी को सभी मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगी। सेंटर का काम पूरा हो गया है। यह पुलिस विभाग को ट्रांसफर भी कर दिया गया है। अक्टूबर से इसकी शुरुआत हो सकती है।
इससे पहले हमने बताया था कि कैसे मुंबई में तत्कालीन फडनवीस सरकार ने फटाफट डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए आनन-फानन में एक पहले से चलते एनजीओ की जमीन पर कब्जा कर लिया था। बाद में मामला खुला तो बीजेपी ने खूब लीपा-पोती की। कुछ-कुछ वैसा ही मामला यूपी में बने इस बारहवें डिटेंशन सेंटर में भी हुआ है। दरअसल नंदग्राम, जहां पर यह नया डिटेंशन सेंटर बना है, उसमें दलित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो आंबेडकर हॉस्टल बनाए गए थे। दोनों हॉस्टलों की क्षमता 408 छात्र-छात्राओं की है।
इसका उद्घाटन 15 जनवरी 2011 को हुआ था। पिछले कई साल से छात्राओं वाला छात्रावास बंद है। यहां एक बात नोट करने वाली यह है कि अखबारों में छपा है कि देखरेख नहीं होने के कारण इसकी इमारत जर्जर हो चुकी थी। लेकिन महज 8 साल में कोई इमारत कैसे जर्जर हो सकती है, यह सवाल किसी ने नहीं उठाया। छात्राओं वाले छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार से बजट जारी हुआ था। ठेका मेरठ की एक निर्माण एजेंसी को दिया गया था।
अखबारों में इसे लेकर एक और महत्वपूर्ण बात छपी है, और वह ये कि पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हाल ही में मेरठ जोन में 167 विदेशी जमाती पकड़े गए थे। ये वीजा शर्तों का उल्लंघन कर भारत आए थे। इसमें 38 नेपाल के हैं, जबकि 129 जमाती अन्य देशों के हैं। सभी के खिलाफ अलग-अलग जनपदों में मुकदमे दर्ज हैं। इनके पासपोर्ट जब्त हो चुके हैं। फिलहाल सभी का पुलिस निगरानी में इलाज चल रहा है। माना जा रहा है कि क्वारंटाइन पूरा होते ही इन्हें इस डिटेंशन सेंटर में बतौर एहतियात रखा जा सकता है।
आपको बता दें कि संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने झूठ कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। जबकि देश में फिलहाल 11 डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं। इनमें से छह डिटेंशन सेंटर असम में हैं। अन्य सेंटर दिल्ली, म्हापसा (गोवा), अलवर जेल (राजस्थान) और अमृतसर जेल (पंजाब) और बेंगलुरु के पास सोंडेकोप्पा(कर्नाटक) में हैं। पंजाब और महाराष्ट्र में एक-एक, बंगाल में दो सेंटर बनाने का काम चल रहा है।
(जनचौक में छपी राइजिंग राहुल की के साथ रिपोर्ट।)