कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने किया देशव्यापी चक्का जाम आंदोलन
पुरुषोत्तम शर्मा
*अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (ए आई के एस सी सी)* *प्रेस बयान,
देशभर में इन विरोध कार्यक्रमों में शांतिपूर्ण नागरिक अवज्ञा का पालन किया और किसी भी विरोध में कोई हिंसक घटना नहीं हुई। जैसा कि पहले घोषणा की गई थी सभी चक्का जाम के क्षेत्रों में बीमार व्यक्तियों एंबुलेंस पेट्रोल व डीजल व एलपीजी के वाहनों को मुक्त रास्ता दिया गया। प्रेस बयान भेजे जाने के समय उपलब्ध रिपोर्टों के अनुसार देश भर में 18 राज्यों में करीब ढाई हजार स्थानों पर 5,00,000 से ज्यादा किसानों और मजदूरों ने इन विरोधियों में भाग लिया।
देश भर के 500 से ज्यादा किसान संगठनों ने आज के इस राष्ट्रव्यापी चक्का जाम आंदोलन में हिस्सा लिया। देश के लगभग सभी राज्यों में लाखों किसान सड़कों पर उतरे। दोपहर 12 बजे से सायं चार बजे तक चक्का जाम आंदोलन चला। बीमारों, एम्बुलेंस, बुजुर्गों व दूध वाहनों को जाने का रास्ता दिया गया।
देश के किसान इन चारों काले कानूनों वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। किसानों का आरोप है कि ये चारों कानून देश की खेती, किसानी, खाद्य सुरक्षा और विद्युत को कारपोरेट के हवाले कर देंगे। किसान इनके ख़िलाफ़ आर-पार की लड़ाई का मन बना चुका है। 26-27 नवम्बर को लाखों किसान दिल्ली मार्च करेंगे।