पुरुषोत्तम शर्मा
आज दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन टिकैत के आंदोलनकारी किसान साथियों के साथ दिन भर रहा। यह वही दिल्ली यूपी बार्डर का दिल्ली बरेली हाइवे है, जिस पर दो साल पहले टिकैत के ही नेतृत्व में किसानों और पुलिस में जोरदार झड़प हुई थी। 500 किसान संगठनों के "दिल्ली चलो" आंदोलन के तहत किसान यूनियन टिकैत ने इस बॉर्डर पर 28 नवम्बर से डेरा डाला है। 27 नवम्बर को उन्होंने दिल्ली यूपी को जोड़ने वाले तीन हाइवे पर जाम लगाया था। यहां हालांकि अभी सिंधु बॉर्डर व टीकरी बॉर्डर की तरह किसानों की जत्थेबंदी किलोमीटर के हिसाब से नहीं है, पर उसकी भी तैयारी चल रही है।
भारतीय किसान यूनियन टिकैत के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने बताया कि 3 नवम्बर को इस बॉर्डर पर भी भारी जमवाड़ा होगा। किसानों से कहा जा रहा है कि लम्बी तैयारी के साथ आएं। यहां भी स्थानीय नागरिकों और गाजियाबाद नगर निगम का सहयोग किसानों को मिल रहा है। नगर निगम ने जहां पानी के टैंकर और सचल शौचालय वाहन लगाए हैं, वहीं स्थानीय नागरिक केले, बिस्कुट, समोसे, ब्रेड पकोड़े, मट्ठी व पानी की बोतल बांटते दिखे। गाँवों से ट्रेक्टरों में पका हुआ खाना आ रहा है। वहीं स्थानीय गुरुद्वारे भी भोजन की लगातार आपूर्ति कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन टिकैत अभी न तो वर्तमान आंदोलन को संचालित कर रहे 500 किसान संगठनों के साझे मंच में है और न ही इसमें शामिल किसान संगठनों के तीनों बड़े समूहों में से किसी के साथ है। पर किसान संगठनों द्वारा किसानों के मुद्दों पर इस दौर में दिए जा रहे संघर्ष के राष्ट्रीय आह्वानों को वह अपने कार्यक्षेत्र में लागू कर रही है। आंदोलन में भागीदारी के बावजूद वे खुद इस साझे मंच में क्यों नहीं हैं ? के जवाब में राकेश टिकैत कहते हैं कि किसी ने भी कभी हमें इन मंचों की ओर से आमंत्रित ही नहीं किया।
किसानों के "दिल्ली चलो" आंदोलन के तहत उत्तर प्रदेश में अभी आंदोलन गति नहीं पकड़ पाया है। हालांकि प्रदेश भर में किसानों के धरने प्रदर्शन जारी हैं, पर हाइवे जाम व स्थाई धरना जैसे बड़े कार्यक्रमों की ओर अभी टिकैत के नेतृत्व वाली यूनियन ही सामने आई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक और किसान नेता नरेंद्र राणा ने मुझे फोन पर बताया कि कल बड़ौत में भी क्षेत्र के किसान संगठनों की बैठक है। वहां भी दिल्ली बागपत राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने के बारे में निर्णय लिया जाएगा। उम्मीद है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ रही किसानों की गोलबंदी आंदोलन को और मजबूती देगी।