संयुक्त किसान मोर्चा के ‘राष्ट्रीय कन्वेंशन’ में पारित प्रस्ताव


संयुक्त किसान मोर्चा के 26-27 अगस्त 2021 को सिंघु बार्डर पर आयोजित ‘राष्ट्रीय कन्वेंशन’ में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इस कन्वेंशन ने तीन कॉरपोरेट पक्षधर कृषि कानूनों, नया बिजली बिल 2021 और एनसीआर व पड़ोसी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता आयोग अधिनियम को वापस लेने तथा सभी कृषि उपजों का स्वामीनाथन आयोग के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की, कानूनी गारंटी की मांगों को हल करने में सरकार की विफलता पर प्रस्ताव पारित किए। इसके साथ ही कृषि मजदूरों और अन्य मेहनतकश वर्गों के निरंतर बढ़ते और तीव्र हो रहे गुस्से पर चर्चा की और विचार किया गया। 

1 - कन्वेंशन में सर्वसम्मति से तय किया कि, पूरे देश में अपने आंदोलन को तेज किया जाए और सभी किसानों और मेहनतकश लोगों को गोलबंद करते हुए 25 सितंबर, 2021 को देश में एक दिवसीय भारत बंद की अपील की जाए।

2 - यह कन्वेंशन सभी किसान और सहायक संगठनों से अपील करता है कि वे *5 सितम्बर को मुज़फरनगर* में संयुक्त किसान मोर्चा की होने वाली रैली को भारी भागीदारी कराकर उसे सफल करें और मिशन उत्तर प्रदेश - उत्तराखण्ड को जमीनी स्तर पर हर गांव में ले जाएं।

3 - यह कन्वेंशन, "राज्यों में सभी किसानों से" हर राज्य व जिले में संयुक्त किसान मोर्चों का निर्माण करना शुरू करने की और सहायक संगठनों के साथ राज्यों और जिलों में सम्मेलन] रैलियों का आयोजन करके, टोल प्लाजा में बिना टोल के निकासी को लागू कराकर और भाजपा और उसके सहयोगी एनडीए नेताओं, सांसदों, विधायकों द्वारा भारत के किसानों की देश हित में उठाई गयी मांगों को स्वीकार करने से इनकार करने के लिए उनके विरोध में पूरे देश में आंदोलन को तेज करने का आह्वान करता है। 

4 - यह सदन समझता है कि, अनुबंध खेती "अधिनियम, भारत सरकार को" भारतीय किसानों को बड़े कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ अनुचित और असमान अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करेगा, जो केवल कंपनियों के लिए वाणिज्यिक मूल्य की फसलें उगाने के लिए हैं; किसानों को खाद्य फसलें उगाने की स्वतंत्रता से वंचित करेगा; उन्हें अनुबंधित कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाली महंगी लागत और मशीनीकृत कृषि सेवाओं को खरीदने के लिए मजबूर करेगा; "भूमि और अन्य संपत्ति गिरवी रखकर" लागत के भुगतान के लिए; किसानों को ऋण संस्थानों के साथ अलग-अलग समझौते करने के लिए मजबूर करेगा; उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि फसल की भुगतान की गई वास्तविक कीमत का निर्धारण, फसलों की परख के बाद किया जाएगा; अनुबंध की शर्तों की निगरानी के लिए "अनुबंध के अनुसार" बिचैलियों की एक श्रृंखला स्थापित करेगा; और कंपनिया आवंटन के अनुसार, पूरे जिलों या उसके भागों में, किसानों से अपनी आवश्यकता के अनुसार फसल की पैदावार कराएंगी।

5 - यह सदन यह भी समझता है कि मंडी बाईपास कानून के अनुसार निजी खाद्य कारपोरेशनों के लिए, शक्तिशाली बिचैलिए कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करेंगे और वे फसलों का सबसे कम प्रचलित ऑन लाइन दर की पेशकश करेंगे; यह सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर किसी भी खरीद से इनकार करेगे; ये कारपोरेशन खाद्य फसलों को खरीदने और जमा करने के लिए स्वतंत्र होंगे; सरकार व्यापार के इन ‘वैकल्पिक’ माध्यमों को बढ़ावा देगी जिसका अर्थ है कि वह सरकारी मंडियों और एमएसपी दरों पर खरीद का समर्थन नहीं करेंगी कि ये निजी मंडियां अपना शुल्क स्वयं तय व वसूल करेंगी और साथ ही निष्पक्ष व्यापार के नियम और दिशा-निर्देश भी तय करेंगी, कि इन्हीं नियमों के आधार पर सभी कानूनी विवादों को निपटाया जाएगा; कि मंडियों और व्यापार के नियंत्रण के माध्यम से ये कारपोरेट, लागत और सेवाओं की उच्च दरों और फसलों के लिए कम दरों के लिए बेंचमार्क स्थापित करेंगे; कि ये फसलों की खरीद, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण और पैक किये खाद्य पदार्थों के विपणन की, पूरी खाद्य श्रृंखला को नियंत्रित करेंगे।

6 - यह कन्वेशन, यह जानकर हैरान है कि आवश्यक वस्तु संशोधन कानून में, आवश्यक वस्तुओं की सूची से भोजन को हटा दिया गया है; अनाज, दलहन और तिलहन की कीमत हर साल 1-5 गुना और सब्जियों और फलों की कीमत 2 गुना बढ़ाने की स्वतंत्रता दे दी है; सरकारी खरीद नहीं होने से, राशन में खाद्यान्न की आपूर्ति बंद हो जाएगी] जिसका विश्व व्यापार संगठन की शर्तों के अनुसार पहले से ही अमल करने की तैयारी है; यह बहुराष्ट्रीय और भारतीय खाद्य कारपोरेट को भोजन के असीमित भंडारण और कालाबाजारी की अनुमति देता है।

7 - सदन ने नए बिजली कानून पर चर्चा की जो कृषि और ग्रामीण परिवारों के लिए सब्सिडी वाली ऊर्जा आपूर्ति को समाप्त करता है; बिजली दरों को दोगुना से अधिक करने की धमकी देता है और घरेलू व्यवसायों से वाणिज्यिक दरें वसूलने की अनुमति देता है।

8 - सदन ने एनसीआर व निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता आयोग कानून के प्रावधानों के तहत, किसानों पर भारी जुर्माना लगाने, उन्हें जेल भेजकर दण्डित करने को खारिज करते हुए कहा कि यह पराली जलाने से प्रदूषण फैलाने के नाम पर किया गया है, जबकि एनसीआर की वायु गुणवत्ता में इसकी कोई भूमिका अगर है भी, तो बहुत ही छोटी है।

9 - सदन ने सभी कृषि उत्पादों के लिए सी-2 + 50 फीसदी पर एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी के मुद्दे पर विचार किया और समझा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार को लागत और सेवाओं की कीमतों को कम करना चाहिए; किसानों से बैठकर उत्पादन की लागत का सही मूल्यांकन करना चाहिए; सभी फसलों के लिए सी-2 + 50 फीसदी का एमएसपी घोषित करना चाहिये, निर्यात-आयात और अन्य नीतियों को इस तरह विनियमित करना चाहिये, ताकि किसानों को यह मूल्य मिलना सुनिश्चित किया जा सके, और घोषित मूल्य से नीचे बिकने वाली सभी फसलों की खरीद की एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था करनी चाहिये।

10 - सदन ने नोट किया कि हालांकि भारत के किसानों ने सरकार को मांगों का पक्ष दिखाने के लिए एक विशाल, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन का निर्माण किया है] पर कॉरपोरेट मुनाफे के हितों की सेवा करने की अपनी अंधी प्रतिबद्धता में सरकार ने तर्क को देखने से इनकार कर दिया है।

11 - यह कि, इन कानूनों में बदलाव करने के सरकार के सभी प्रस्तावों से कृषि उत्पादन, प्रक्रियाओं और बाजारों पर कॉर्पारेट के अधिग्रहण की किसानों की आशंका का कोई जवाब या राहत नहीं मिलती है; ना ही उनकी भूमि और आजीविका के नुकसान को राहत मिलती है; और ना ही देश के पर्यावरण, पारिस्थितिकी और जैव विविधता को होने वाले नुकसान को।

12 - यह कि हम किसान आरएसएस-बीजेपी के गंभीर उकसावे के बावजूद, अपने विरोध में बेहद शांतिपूर्ण रहे हैं और सरकार निराधार और झूठे आरोप लगा रही है और देशभक्त किसानों को कठोर कानूनों के तहत झूठा फंसा रही है।

13 - यह कि, इस ऐतिहासिक आंदोलन ने सभी धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के लोगों को एकजुट किया है और बड़े कारपोरेट के शोषण के खिलाफ, सभी उत्पीड़ित वर्गों की भारी भागीदारी को प्रेरित किया है; और इसने भारत के लोगों को इस कारपोरेट समर्थक सरकार के फासीवादी हमले के खिलाफ संघर्ष में एकजुट और दृढ़ रहने के लिए प्रेरित किया है।

14 - इन सभी सबकों को आकर्षित करते हुए, यह कन्वेंशन भारत के लोगों से आह्वान करता है कि वे आगे आएं और 5 सितम्बर मुजफरनगर रैली सफल करें और 25 सितंबर, 2021 को, इस आंदोलन के पहले भारत बंद की वर्षगांठ और दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध धरने के 10 महीने पूरा हाने पर] एक विशाल अखिल भारतीय बंद का आयोजन करें।