आंदोलनकारी किसानों के हत्याकांड की इस साजिश को अंजाम देने के साथ ही गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्रा ने इस क्षेत्र में सिख-गैर सिख विभाजन के आधार पर बड़े पैमाने पर हिंसा को संगठित करने और इस तरह किसान आंदोलन से निपटने की रणनीति बनाई थी. इसके लिए पहले से ही भौतिक आधार भी मौजूद था. उत्तर प्रदेश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद अगर किसान आंदोलन में बड़ी भागीदारी कहीं से है तो वह तराई के सिखों की है. यूपी और तराई में सबसे बड़ी सिख आबादी लखीमपुर खीरी जिले में ही है जो जिले की कुल आबादी में लगभग तीन प्रतिशत है. विभाजन के समय तराई में पुनर्वासित कराए गए या यहाँ आकर बस गए इन सिख किसानों का एक हिस्सा बड़ा फार्मर है, जिनके पास बड़े कृषि फार्म हैं. स्थानीय आबादी में गरीबों और भूमिहीनों के बीच जमीन की चाह ने सिख और गैर सिख किसानों के बीच एक खाई पहले से ही बनाई है. इस किसान आंदोलन में सिख किसानों की प्रमुख भूमिका को दिखाकर भाजपा-आरएसएस गैर सिख किसानों व ग्रामीण गरीबों के बीच लगातार इस प्रचार को ले जाती रही हैं कि ये सिख अपनी बड़ी जमीनों को बचाने के लिए ही इस आंदोलन को लड़ रहे हैं. अगर इनकी जमीन निकलेगी तो वह आप लोगों के बीच बंटेगी. इसी लिए वामपंथी किसान संगठन अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा इस क्षेत्र में गैर सिख किसानों व ग्रामीण गरीबों को किसान आंदोलन में उतारने के अलावा अभी तक यहाँ गैर सिख किसानों की भागीदारी इस आंदोलन में बहुत ही नगण्य है.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय की शह पर रचे गए इस जघन्य हत्याकांड से जिसमें किसान नेता तेजेंदर विर्क और गुरमीत मंगट उनके मुख्य निशाने पर थे, वे किसान आंदोलन को उत्तेजित कर हिंसक बनाना चाहते थे. इसके साथ ही उनकी योजना पूरे क्षेत्र में गैर सिख गावों को संगठित कर शहीदों के शवों के साथ तिकोनियाँ में विरोध कर रहे सिख किसानों पर संगठित हमला करने की थी. इसके लिए पूरे भाजपा-आरएसएस के तंत्र को सक्रिय कर गांवों में प्रचार व गोलबंदी पर जुटाया गया था. भाजपा की सहयोगी राजनीतिक पार्टियों को भी इसमें इस्तेमाल किया गया. निघासन और पालिया में सारदा नदी क्षेत्र में बसे केवट, निषाद व मल्लाह जाति के किसानों को अपने पक्ष में उतारने के लिए टेनी ने निषाद पार्टी की मदद ली. टेनी के अपने आसपास के चार पाँच गावों पर पूरी ताकत लगाते हुए जिले भर से लोगों को तिकोनिया बुलाया गया था. पर जैसा इस किसान आंदोलन में हर बार हुआ, किसानों की सूझबूझ ने भाजपा-आरएसएस की साजिशों को सफल नहीं होने दिया. आन्दोलनरत किसानों पर साजिश पूर्वक रचे गए इस हत्याकांड के खिलाफ आंदोलन में क्षेत्र की जनता के व्यापक समर्थन ने सत्ता और भाजपा-आरएसएस की साजिश को एक बार फिर विफल कर दिया.
लखीमपुर खीरी कांड में घटनास्थल पर सर्व प्रथम पहुंची अखिल भारतीय किसान महासभा व भाकपा माले की संयुक्त टीम की रिपोर्ट
अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा(माले) की उत्तर प्रदेश इकाई की एक छह सदस्यीय संयुक्त टीम ने घटना के तुरंत बाद 03 अक्टूबर 2021 को ही लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया का दौरा किया. टीम में अ. भा. किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अफरोज आलम, ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी, अ. भा. खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, भाकपा (माले) की स्टेट स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य ओमप्रकाश सिंह एवं राज्य कमेटी सदस्य राजेश साहनी शामिल थे. जिला अस्पताल लखीमपुर में भर्ती घायल किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क एवं अन्य घायल किसानों से मिलने के बाद टीम घटनास्थल पर पहुंची, जहां शहीद किसानों के पार्थिव शरीर रखे हुए थे और किसानों का प्रतिवाद चल रहा था. टीम ने शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी, वहां मौजूद उनके परिजनों, आंदोलनरत किसानों व स्थानीय निवासियों से बातचीत कर घटना की जानकारी ली.
शहीद किसानों के परिजनों, आंदोलनरत किसानों एवं स्थानीय निवासियों ने टीम को बताया कि उस दिन (03 अक्टूबर 2021) को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य एवं केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री व लखीमपुर खीरी सांसद अजय कुमार मिश्र टेनी का एक कार्यक्रम लखीमपुर में था. कार्यक्रम के उपरांत केशव मौर्य को अजय कुमार मिश्र टेनी के पैतृक निवास लखीमपुर खीरी के तिकोनिया जाना था. उक्त कार्यक्रम की जानकारी होने के बाद ही किसानों ने तय किया था कि गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के किसानों के विरुद्ध दिए गए बयान को लेकर उनका शांतिपूर्ण विरोध किया जाएगा और काला झंडा दिखाया जाएगा. उल्लेखनीय है कि लगभग एक सप्ताह पूर्व गृह राज्य मंत्री ने किसानों के विरुद्ध बयान जारी करते हुए धमकी भरे अंदाज में कहा था कि "10 या 15 आदमी वहां बैठे हैं, अगर हम उधर भी जाते हैं तो भागने के लिए रास्ता नहीं मिलता. उन्होंने कहा ‘हम आप को सुधार देंगे 2 मिनट के अंदर.. मैं केवल मंत्री नहीं हूं, सांसद विधायक नहीं हूं. सांसद बनने से पहले जो मेरे विषय में जानते होंगे उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं और जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम करना शुरू कर दिया उस दिन पलिया ही नहीं लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा, यह याद रखना..!" किसानों व स्थानीय निवासियों का कहना था कि अजय कुमार मिश्र टेनी, जिनका आपराधिक इतिहास है और जिनके खिलाफ एक अन्य हत्याकांड में शामिल रहने का मुकदमा इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित है, ने किसानों को सबक सिखाने की ठान ली थी और उक्त हत्याकांड उसी योजना के तहत रचाया गया.
घटना का विवरण :
चश्मदीदों के अनुसार किसानों के एक बड़े हुजूम ने लखीमपुर-खीरी के तिकोनिया स्थित हेलीपैड के पास इकट्ठा होकर राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य एवं केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री को काला झंडा दिखाकर विरोध करने का निर्णय लिया. हालांकि उपमुख्यमंत्री ने अपना रास्ता बदल लिया और इस तरह किसानों का उस दिन का प्रतिवाद सम्पन्न हो चुका था और किसान लौटने लगे थे. अचानक तेज रफ्तार से आगे-पीछे चल रही तीन गाड़ियों के काफिले, जिसमें केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के लड़के आशीष मिश्र उर्फ मोनू के साथ बड़ी संख्या में हथियारबंद गुंडे भरे हुए थे, ने एकाएक पीछे से, वहां उपस्थित किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क एवं किसानों की भीड़ पर, गाड़ियां चढ़ा दी और सड़क पर लौट रहे पैदल किसानों को बुरी तरह रौंद दिया. तेजिन्दर सिंह विर्क समेत एक दर्जन से अधिक किसान गम्भीर रूप से घायल हो गए. एक युवा किसान गुरविंदर ने हमलावरों में से एक को कमर से पकड़ लिया जिसकी वजह से आशीष मिश्र उर्फ मोनू ने उन्हें सिर में गोली मार दी. इस योजनाबद्ध हमले में कुल चार किसान और एक स्थानीय पत्रकार मारे गए, जिनमें चार की मौत आशीष मिश्रा की गाड़ी से कुचलने से एवं एक की मौत गोली लगने से हुई. टीम के सदस्यों ने भी मृतक गुरविंदर की दाहिनी कनपटी पर गोली घुसने के निशान को देखा. किसानों व स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि किसानों ने जब हमलावरों को घेरना चाहा तो भागने की कोशिश में उनकी गाड़ी पलट गई. गाड़ी पलटने से घायल तीन गुंडों को पकड़ कर किसानों ने पुलिस के हवाले कर दिया था. जिनके बारे में बाद में पता चला कि उनकी भी मौत हो गई है.
शहीद किसानों की सूची -1.दलजीत सिंह, नानपारा, बहराइच, उम्र 35 वर्ष, 2.गुरविंदर सिंह, दोहरनिया फार्म, नानपारा, बहराइच, उम्र 18 वर्ष, 3.लवप्रीत सिंह चौखड़ा पुत्र सतनाम सिंह चौखड़ाफार्म, उम्र 19 वर्ष, 4.नक्षतर सिंह, पुत्र सूबा सिंह, धौरहरा, खीरी, उम्र 55 वर्ष. इस बीच घटनास्थल पर चल रही श्रद्धांजलि एवं प्रतिवाद सभा को जांच टीम के नेताओं- ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, कृष्णा अधिकारी और श्रीराम चौधरी ने संबोधित करते हुए निम्नलिखित मांगें रखी—1 - केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री के हत्यारे लड़के के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए. साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए. 2 - मृतक किसानों के परिजनों को कम से कम पचास लाख रुपए, घायलों को कम से कम दस लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. 3 - मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए. 4 - घटना की जवाबदेही लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गद्दी छोड़ें. योजना के तहत टीम से जुड़े तीन नेता ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, कृष्णा अधिकारी एवं श्रीराम चौधरी घटनास्थल पर रुक कर जारी प्रतिवाद प्रदर्शन को आखिर तक संगठित करते रहे एवं आंदोलन के दबाव में एफआईआर दर्ज करने, मृतकों के परिजनों को 45 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा होने एवं शवों के पोस्ट मार्टम के लिए भेजे जाने के बाद ही वापस लौटे.
हमारा हस्तक्षेप न होता तो प्रशासन रात के अंधेरे में ही करवा रहा था शहीद की अंतेष्टि
पलिया में राय बुक सेंटर पर चाय पीने के बाद हम तिकोनियाँ की ओर बढ़े. निघासन पहुँचने से पहले ही तिकोनियाँ से लौट रहे किसानों के वाहनों का काफिला मिलने लगा जो लगभग 40 किलोमीटर तक वैसे ही बढ़ता गया. अभी तिकोनिया की ओर बढ़ रहे किसानों के वाहन भी तिकोनियाँ की ओर बढ़ ही रहे थे. तिकोनियाँ में पलिया तहसील के हमारे युवा किसान नेताओं अजय और लक्ष्मी नारायण के नेतृत्व में युवाओं की टीम हमारा इंतजार कर रही थी. उनसे मिलने के बाद रुकने के मकसद से हम वहाँ से तीन किलोमीटर दूर और नेपाल बार्डर के नजदीक स्थित सिखों के एतिहासिक धार्मिक स्थल कोडियाल गुरुद्वारा गए. पता चला की यहाँ पर गुरु नानक देव एक कोढ़ी के घर में रुके थे. बाद में यहाँ यह एतिहासिक गुरुद्वारा बनाया गया जिसका नाम कोडियाल गुरुद्वारा रखा गया. यहाँ पर कामरेड प्रेमसिंह गहलावत को पालिया तहसील के एक किसान मोहन सिंह मिले. कामरेड प्रेमसिंह गहलावत ने उन्हें गुरुद्वारे के बजाए किसी किसान के फार्म में रुकने की इच्छा बताई. बातचीत होने के बाद मोहन सिंह ने अपने फार्म पर हमारे रहने की व्यवस्था की. उनका फार्म पलिया और निघासन के बीच बामनपुर के पास जानकी नगर में है.
मोहन सिंह जिनके फार्म में हम रुके थे वे संयोग से शहीद लवप्रीत के दूर के रिस्तेदार भी निकले. हमारे संगठन के साथ अच्छी मित्रता रखने वाले निघासन के किसान राम सिंह ढिल्लों से भी उनकी मित्रता है. राम सिंह ढिल्लों के भाई पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में हैं. 5 अक्टूबर को लवप्रीत की अंतेष्टि में ही हमारी टीम को रहना था. हमारे खाने की तैयारी चल ही रही थी कि मोहन सिंह के पास किसी रिस्तेदार का फोन आया कि लवप्रीत सिंह की अंतेष्टि अभी रात में ही करने की तैयारी चल रही है. जानकारी मिलते ही कामरेड रुलदू सिंह मानसा ने उनके रिस्तेदार और ग्राम प्रधान (सरपंच या मुखिया) से बात कर अंतेष्टि कार्यक्रम को तत्काल रोकने को कहा. उन्होंने कहा संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से मेरी ड्यूटी शहीद लवप्रीत की अंतेष्टि कराने की है. साथ ही उन्होंने कहा कि रात में अंतेष्टि सिख धर्म की मान्यताओं के खिलाफ भी है. इस लिए अंतेष्टि कल दिन में होगी. उधर कामरेड प्रेम सिंह गहलावत ने जिले के एसपी और डीएम को फोन कर रात में जबरन अंतेष्टि कराने पर दूसरे दिन बड़े आंदोलन की चेतावनी दी. हमारे द्वारा किए गए इस हस्तक्षेप के कारण रिस्तेदारों पर प्रशासन का दबाव भी कम हो गया और परिवार और रिस्तेदारों ने रात में अंतेष्टि के कार्यक्रम को रोक दिया.